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नींबू वर्गीय फलो में फल के फटने (Fruit craking)की समस्या को कैसे दूर करे किसान भाई

लेखक- मनीष कुमार मीना, (M.Sc Horticulture in Fruit Science),सहा. कृषि अधिकारी, धोलपुर

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Citrus grupe नींबू वर्गीय फसलों में मुख्यत नींबू, संतरा,नारंगी, किन्नौ,पुमेलो, आदि फल आते है।राजस्थान में नींबू वर्गीय फलो में फल फटने की गंभीर समस्या है। प्रायः यह देख गया है कि फल पकने से पहले फटने लगते है और इस कारण बहुत सी फसल खराब हो जाती है और इनका कोई मूल्य नहीं मिल पाता है। नींबू ओर संतरा में फल फटने की समस्या ज्यादा देखी गयी है। जिससे फल की गुणवत्ता खराब हो जाती है और जिससे फल उत्पादन पर अधिक प्रभाव पड़ता है। परन्तु शुरुआत में यह समस्या दिखाई दे तब भी इसका इलाज किया जा सकता है जिससे यह आगे बढ़ने से रुक जाती है।





आइये जानते है फल फटने के क्या कारण है औऱ इसे किस प्रकार रोका जाये

फल फटने का कारण-

1. High temperatureअधिक तापमान के कारण। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य्प्रदेश, में अधिक तापमान के साथ साथ गर्म हवाएं भी चलती है और वातावरण में नमी की कमी हो जाती है जिससे पौधों में पानी की मात्रा में बहुत कमी  हो जाती है । नींबू के फलों का छिलका इस कमी को सहन नहीं कर पाता और फल फट जाते है।

2.वातावरण में अचानक बदलाव जिसके कारण अचानक अधिक गर्मी के बाद बारिश होने पर वातावरण में नमी बढ़ना है क्योंकि फलों का छिलका वातावरण में हुए इस बदलाव को सहन नहीं कर पाता और फल फट जाते है। कागजी नींबू एवं देसी नींबू में इस समस्या को फलों के परिपक्व होने से पूर्व देखा जा सकता है।

3.पोषक तत्वों और सूक्ष्म तत्वों की कमी कम्पोस्ट खाद का कम और यूरिया का अधिक मात्रा में प्रयोग भी पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों का संतुलन बिगाड़ देता है।

4.बोरोन की कमी से- नींबू वर्गीय फलों के लिए बोरोन  आवश्यक सूक्ष्म तत्वों में से एक है। इसकी आवश्यकता फल और बीज बनने में बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी कमी फलों के फटने को दूसरा मुख्य कारण है। इसके अतिरिक्त ज़िंक, कैल्शियम भी मुख्य सूक्ष्म तत्व है जो नींबू के पौधों और फलों के विकास में आवश्यक होते है।

5.समुचित सिंचाई प्रबंधन नींबू के पौधों के विकास में अधिक पानी की आवश्कता नहीं होती परन्तु पानी की कमी भी नहीं होनी चाहिए। पौधों में गर्मी में नाली द्वारा पानी देने से भी फलों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसके लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि पौधों के आस पास पानी नहीं ठहरे परन्तु नमी बनी रहे।

नियंत्रण-

1.प्रभावी सिंचाई प्रणाली लागू करें। बारिश का पानी फल के पेड़ के पास या बागीचे में जमा न होने दें। इसकी निकासी की व्यवस्था करें।

2.फलो को फटने से रोकने के लिए बोरोन (बोरेक्स या बोरिक एसिड) का 0.4% यानी 4ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोलकर स्प्रे करे। साथ ही जिंक सलफेट 0.4% , कैल्शियम नाइट्रेट 1% (10ग्राम प्रति लीटर ) का छिड़काव भी फलो को फटने से रोकने, गिरने ओर गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक है।

3.पश्चिम दिशा में बड़े छायादार पेड़ लगाने से पौधों कि गर्म हवाओं से रक्षा की जा सकती है जिससे फल तेज गर्म हवाओं से बचेंगे और बीमारी का प्रकोप काम होगा।

4. पौधों की प्रूनिंग (कटाई छटाई) करें जिससे गुणवत्ता व आकार व उत्पादन में वर्द्धि होगी।



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