राजस्थान में आम की Mango malformation मेंगो मालफोर्मेशन की गंभीर समस्या व निवारण
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Author- मनीष कुमार मीना, स.कृषि अधिकारी, धोलपुर, राजस्थान
नरेश मीना, स.कृषि अधिकारी, धोलपुर, राजस्थान
विश्व मे आम के उत्पादन मे भारत प्रथम स्थान पर है। राजस्थान के धोलपुर जिले में आम की किस्मो में मालफोर्मेशन आम के पौधों में एक भयंकर रोग "मैंगो मालफोर्मेशन" (Mango malformation) लगता है जिसका समय पर नियंत्रणनही करने पर आम के उत्पादन पर भारी असर पड़ता है।आइये जानते है मालफोर्मेशन क्या होता है, कारण व इसका नियंत्रण किन भाई किस प्रकार करे।
भारत मे राजस्थान, मध्य्प्रदेश, उत्तरप्रदेश में Mango malformation मालफोर्मेशन की समस्या ज्यादा देखी गयी है। धोलपुर के लगभग सभी क्षेत्रों में मालफोर्मेशन या गुच्छा की गंभीर समस्या देखी गयी है। (Mango Malformation)यह एक प्रकार का आम पेड़ों पर होने वाला प्रमुख रोग है। प्रायः इस रोग के कारकों में Fusarium Moniliforme किस्म सबग्लूटीना नामक फफूंद का द्वाराहोता है।
यह दो प्रकार का होता है-
1. Vegetative malformation-यह समस्या नर्सरी में सीडलिंग स्टेज पर पाई जाती है।आम की टहनी पर एक पट्टी के स्थान पर अनगिनत छोटी-छोटी पत्तियों का गुच्छा बन जाना, तने की गाठों के बीच का अंतराल अत्यधिक कम हो जाना, बाद में यह गुच्छा नीचे की ओर झुक जाता है, जो बन्ची टॉप जैसा दिखता है
vegetative malformation at bari, dholpur |
2.Floral Malformation): इस रोग में पुष्पक्रम छोटी-छोटी पत्तियों जैसे कि गुच्छों के रूप में बदल जाता है जिसको माथा बंदना भी कहते है।
floral malformation at bari , district dholpur |
मालफोर्मेशन/गुच्छा रोग के कारण-
ऐसा पाया गया है कि आम की उत्तर भारतीय प्रजातियां इस रोग से अधिक ग्रसित होती हैं। इस रोग का कारण पौधे में होने वाले हार्मोनों का असंतुलन हैं। गुच्छा रोग से ग्रसित आम के पेड़ में पत्तियों और फूलों में असामान्य वृद्धि और फल विकास अवरुद्ध हो जाता है।
पर्यावरणीय कारक- malformation अक्सर उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में होती है लेकिन उष्णकटिबंधीय क्षेत्र इससे लगभग मुक्त होते हैं। इसके अलावा पैनिक जो मौसम के शुरुआती मौसम में भी उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में विकृत दिखाई देते हैं। उत्तर भारतीय परिस्थितियों में flower bud differentiation में दिसंबर-जनवरी के महीने में 25 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर अधिक विकृत पैन्कल्स पैदा करते हैं।
पैथोलॉजिकल कारक- कवक - फ्यूसेरियम मोनिलिफोर्मे, ऑक्सीस्पोरम कवक रोगज़नक़ का वाहक है।
रोकथाम: इस बीमारी का मुख्य लक्षण यह है कि इसमें पूरा पेनिकल नपुंसक फूलों का एक ठोस गुच्छा बन जाता है।
1) आम के पौधे को गुछा रोग या मालफोर्मेशन से बचाने के लिए रोगग्रस्त पुष्पों की मंजरियों को 30-40 सेमी नीचे से कटाई कर दें और जमीन में गड्डा करके दबा देवे।
2) उपचार के लिए प्रारंभिक अवस्था में जनवरी फरवरी माह में प्रभावित पुष्पक्रम या मंजरी को तोड़ दें और अधिक प्रकोप होने पर एनएए 200 पीपीएम वृद्धि होरमोन की 900 मिली प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें और कलियां आने की अवस्था में जनवरी के महीने में पेड़ के प्रभावित blossom या पुष्पक्रम या पेनिकलतोड़ देना भी लाभदायक रहता है क्योंकि इससे न केवल आम की उपज बढ़ जाती है। इस बीमारी के आगे फैलने की संभावना भी कम हो जाती है।
3) चार मिलीलीटर प्लानोफिक्स या (NAA ) प्रति नौ लीटर पानी में घोलकर फरवरी-मार्च के महीने में छिड़काव करें।
4) इसके बाद फफूंद नाशी का छिड़काव करें कार्बेंडाजिम 0.1 %.
4.रोगमुक्त किस्मो का चुनाव करना चाहिए।
4) इसके बाद फफूंद नाशी का छिड़काव करें कार्बेंडाजिम 0.1 %.
4.रोगमुक्त किस्मो का चुनाव करना चाहिए।
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